गठबंधन प्रत्याशी का खेल बिगाड़ेंगे अखिलेश सिंह?
हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो
महराजगंज! महराजगंज लोकसभा सीट से मंगलवार को समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह ने पूर्वांचल किसान युनियन के बैनर तले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भारी भीड़ के साथ अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के अवसर पर उनके अनुज पूर्व विधायक कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह भी मौजूद रहे।
नामांकन के बाद अखिलेश सिंह ने मीडिया को बताया कि वह किसानों के हित के लिए यह चुनाव लड़ रहे। उनके नामांकन में हजारों हजार किसानों की उपस्थिति यह दर्शाता है कि किसान भाजपा ही नहीं कांग्रेस और सपा से भी काफी नाराज है और इन दोनों को इस बार सबक सिखाने के लिए तैयार है।
इससे पहले पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह एक लंबे काफिले के साथ महराजगंज पहुंचे थे जहां सैकड़ों की संख्या में मौजूद पूर्वांचल किसान युनियन के कार्यकर्ता मौजूद थे। कार्यकर्ताओं ने अखिलेश सिंह और मुन्ना सिंह का गर्मजोशी से स्वागत किया और जम कर नारे भी लगाए।
बता दें कि कुंवर अखिलेश सिंह 1991 और 1993 में दो बार विधायक चुने गए थे। 1999 में उन्होंने महराजगंज संसदीय सीट पर समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और वे विजई होकर पहली बार संसद पहुंचे। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में किसानों के मुद्दे पर संसद में उन्होंने जोरदार बहस किया था। पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। 2012 उनके अनुज कुंवर कौशल उर्फ मुन्ना सिंह कांग्रेस के टिकट पर नौतनवां विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। लेकिन 2017 और 2022 में सपा से लड़कर चुनाव हार गए। हालांकि 2022 में कुंवर कौशल सिंह को 78 हजार मत मिले थे और वे दूसरे स्थान पर रहे।
बीते नौ अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर अखिलेश सिंह ने पूर्वांचल किसान युनियन का गठन किया और किसानों को जगाने का कार्य किया। लेकिन चुनाव आते ही समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष विद्यासागर यादव ने शीर्ष नेतृत्व के आदेश पर अखिलेश सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया। अखिलेश सिंह को यह बात नागवार लगी और उन्होंने तभी से गठबंधन प्रत्याशी के खिलाफ 2024 का संसदीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया और मंगलवार को पूर्वांचल किसान युनियन के बैनर तले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर महराजगंज लोकसभा सीट से अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया। इसका परिणाम जो भी हो पर उनके लड़ने से गठबंधन प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि गठबंधन प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी का जो भी नुकसान होगा उसका फायदा सीधे-सीधे पंकज चौधरी के हक में जाएगा?