पितृ पक्ष श्रद्धा का पहला दिन आज

उत्तर प्रदेश महाराजगंज


राममिलन गुप्ता

परतावल/महराजगंज : पितृ पक्ष बुधवार से प्रारंभ हो रहा है। पहला श्राद्ध 18 सितंबर को और अंतिम श्रद्धा 2 अक्टूबर को होगा। सनातन धर्म में ऋषियों ने वर्ष में एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया, जिस पक्ष में हम अपने पितरेश्वरों का श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अर्घ्य समर्पित करते हैं।

यदि किसी कारण से उनकी आत्मा को मुक्ति प्रदान नहीं हुई है तो हम उनकी शांति के लिए विशिष्ट कर्म करते हैं, जिसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं। यह क्रम दो अक्तूबर तक चलेगा।

चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध शस्त्र या दुर्घटनाओं (अपमृत्यु) के कारण मृत्यु होने की स्थिति वालों का होगा। भले ही उनकी मृत्यु किसी अन्य तिथि को हुई हो।

ज्योतिषी आचार्य दुष्यन्त कुमार पाण्डेय (पराशर)


ज्योतिषी आचार्य दुष्यन्त कुमार पाण्डेय (पराशर )  ने बताया कि इस वर्ष 18 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध के साथ पितृ पक्ष का प्रारंभ होगा। दो अक्तूबर को अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। तर्पण, श्राद्ध से चुकाया जाता है। पितरों का ऋण धर्म ग्रंथों के मुताबिक श्राद्ध के 16 दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं।


पितृ पक्ष के दौरान शुभ व मांगलिक कार्य शादी-विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, नई चीजों की खरीदारी वर्जित होती है। इसमें केवल पितरों का श्राद्ध करने की ही परंपरा है। पितृपक्ष में तिथि अनुसार ही पितरों का श्राद्ध किया जाता है। पितृपक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक क्रिया की जाती है। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ धरती पर आते हैं। मान्यता है कि पूर्वजों के नाम से किए गए पूजा-पाठ, दान और तर्पण से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्राद्ध तिथियां
18 सितंबर-प्रतिपदा श्राद्ध, 19 सितंबर-द्वितीया श्राद्ध, 20 सितंबर-तृतीया श्राद्ध, 21 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध, 22 सितंबर- पंचमी श्राद्ध, 23 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध, 24 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध, 25 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध, 26 सितंबर- नवमी श्राद्ध, 27 सितंबर- दशमी श्राद्ध, 28 सितंबर-एकादशी श्राद्ध, 29 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध, 30 सितंबर-त्रयोदशी श्राद्ध, 1 अक्टूबर-चतुर्दशी श्राद्ध,  2 अक्तूबर-सभी भूले भटके हुए (अज्ञात तिथियों का) पितरों के लिए अमावस्या श्राद्ध एवं पितृ विसर्जन।जनसामान्य में यह भ्रांति फैली हुई हैं की पितृ पक्ष में अपना नित्य कर्म, देवपूजा नहीं की जाती है। सभी से अनुरोध है कि इस भ्रम को दूर हटाएं और रोजाना की तरह पूजा-पाठ करते रहें।

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