– पोस्टर प्रतियोगिता में साहिबा ने मारी बाजी
हर्षोदय टाइम्स छोटेलाल पाण्डेय
महराजगंज ,घुघली क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बिरैचा में काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक यशवीर कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि काकोरी काण्ड का समूचे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक विशेष महत्व है। यह केवल एक ट्रेन डकैती नहीं थी। यह ब्रिटिश सरकार पर एक राजनीतिक हमला था। यह फरवरी 1922 में चौरी-चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन को वापस लेने के बाद पैदा हुए राजनीतिक शून्य और निराशा से देश की जनता को बाहर निकालने का प्रयास था।
शिक्षक डाॅ धनंजय मणि त्रिपाठी ने कहा कि 9 अगस्त सन 1925 को हुई काकोरी की घटना ने देश की जनता के समक्ष कांग्रेस की समझौतावादी और ढुलमुल राजनीति के बरक्स क्रांतिकारी राजनीति का विकल्प भी खोल दिया। इस घटना ने न केवल देश को असहयोग आंदोलन के असफल होने की निराशा और सांप्रदायिक माहौल से बाहर निकाला बल्कि महात्मा गांधी की राजनीति की सीमाओं, उनकी सत्याग्रह के पीछे ब्रिटिश सरकार से मोलभाव करने और संघर्ष को देश में उभरते पूंजीपति वर्ग और जमींदार वर्ग के खिलाफ न खड़ा होने देने की उनकी चालाकियों को भी उजागर कर दिया। काकोरी की घटना ने देश की आजादी के आंदोलन को सशक्त क्रांतिकारी धारा की तरफ मोड़ दिया।
शिक्षक रामजपित ने कहा कि काकोरी काण्ड को अंजाम ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के क्रांतिकारियों ने दिया। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना सन् 1924 में शचीन्द्र नाथ सान्याल, रामप्रसाद बिस्मिल आदि के द्वारा की गई थी। काकोरी काण्ड को एच.आर.ए. के 10 लोगों ने अंजाम दिया था जिसका नेतृत्व रामप्रसाद बिस्मिल ने किया था। इस योजना में राजेन्द्र लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी ‘8 डाउन सहारानपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन’ को चेन खींचकर रोका और सरकारी खजाने को लूट लिया। बाद में ब्रिटिश सरकार ने दमन चक्र चलाते हुए एच.आर.ए. के 40 क्रांतिकारियों पर सम्राट के विरूद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या का मुकदमा चलाया।
इस अवसर पर बच्चों ने प्रभात फेरी निकालकर लोहों को देशप्रेम के प्रति जागरूक किया । कार्यक्रम के दौरान पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों ने पोस्टर बनाया। साहिबा को प्रथम, तमन्ना को द्वितीय तथा नाजमा को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर शेर आलम, अफरीना, नाजमा, साहिबा, तमन्ना, दिव्यांशी, समीर, कृष्णा, अंकुश, गुंजेश, अफजल आदि उपस्थित रहे।