सार
नेपाली डिप्टी पीएम ने हाल ही में चीन का दौरा किया है। दौरे के बाद नेपाल के साथ तिब्बत और चीन के कई शहरों को जोड़ने वाले गलियारे की चर्चा है। नेपाल का कहना है कि गलियारे बनाकर चीन के साथ व्यापार बढ़ाएंगे। भारत के साथ भी इसी तरह के गलियारे बनाएंगे।
उमेश चन्द्र त्रिपाठी ब्यूरो
काठमांडू/महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : नेपाल के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि वह चीन ही नहीं भारत के साथ भी संबंधों में बेहतरी के लिए आगे बढ़ रहे हैं। श्रेष्ठ का कहना है कि नेपाल दोनों पड़ोसियों के साथ आर्थिक और विकास गलियारे स्थापित करके संबंधों को पुनर्जीवित करने की तलाश कर रहा है। नेपाल ने पहले केवल चीन के साथ इस विचार के बारे में बात की थी लेकिन अब श्रेष्ठ ने साफ किया है कि वह भारत के साथ भी इसी तरह के गलियारों का निर्माण करने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की योजना रखते हैं।
द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 24 मार्च से 1 अप्रैल तक अपनी चीन यात्रा के दौरान श्रेष्ठ ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक में नेपाल, तिब्बत और चीन के चोंगकिंग को जोड़ने वाले एक आर्थिक और विकास गलियारे के निर्माण का प्रस्ताव रखा था। श्रेष्ठ ने नेपाल आने के बाद कहा, ‘अब हमें चीन से दो और स्थानों- शानक्सी प्रांत में जियान और गुआंग्डोंग प्रांत की राजधानी गुआंगजो को जोड़ने का प्रस्ताव मिला है। ये ऐसी जगह हैं, जहां ज्यादातर अधिकांश नेपाली व्यापारी रहते हैं और चीनी सामान निर्यात करते हैं।
भारत के कई राज्यों को जोड़ने वाला गलियारा भी बनेगा!
नेपाल के डिप्टी पीएम श्रेष्ठ के अनुसार, उन्होंने उत्तराखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती भारतीय राज्यों को जोड़ने वाले इसी तरह के गलियारे को विकसित करने के लिए बातचीत तेज कर दी है।
उनका कहना है कि गलियारे का तरीका चीन जैसा ही होगा लेकिन हमारी प्राथमिकताओं और हितों के अनुरूप उसे फाइनल रूप दिया जाएगा। इन गलियारों का उपयोग नेपाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए कर सकेगा।
श्रेष्ठ ने आगे कहा कि चीन ने हमारे साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की है। तिब्बत के साथ भी हमारे पुराने संबंध हैं। सिचुआन के ऐतिहासिक महत्व और चीन की पुरानी राजधानी चोंगकिंग को ध्यान में रखते हुए इस नए गलियारे से ये तीन स्थान जुड़ेंगे। इससे पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ ही निवेश की भी नई संभावनाएं पैदा होंगी।
श्रेष्ठ के मुताबिक, वह भारत के साथ भी इसी तरह की अवधारणा को आगे बढ़ाने पर चर्चा करने पर विचार कर रहे हैं लेकिन भारतीय नेता और अधिकारी अपने चुनावों में व्यस्त हैं, इसलिए उनको इस विचार का प्रस्ताव करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने साफ कहा कि भारत में चुनाव खत्म होते ही वह बात करेंगे। श्रेष्ठ ने भारत के साथ सभ्यतागत, ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों की ओर इशारा किया, जिनमें से अधिकांश जुड़ाव पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे निकटवर्ती राज्यों के साथ रहा है।