खबर का असर : लापरवाही पर तत्काल प्रभाव से हटाए गए दो कर्मचारी
हर्षोदय टाइम्स/अजय कुमार पाठक
कुशीनगर : पिछले दिनों हाटा सीएचसी पर ढाढा मिश्र के एक युवक की सर्पदंश से मौत के मामले में कथित लापरवाही पर खबर चलने पर जिला स्तरीय टीम ने जांच की और जांच में दोषी पाया जाने के उपरांत डॉक्टर प्रशांत मल्ल और फार्मासिस्ट यशवंत सिंह चौहान को तत्काल प्रभाव ट्रांसफर कर दिया है । डॉ प्रशांत मल्ल को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मथौली और फार्मासिस्ट को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सकरौली से संबंध कर दिया है।
उक्त मामले के लिए ढाढा मिश्र गांव के लोगों ने गांव में भी बवाल किया था इसके बाद सीएचसी पर भी पहुंच कर धरना प्रदर्शन किया था।
प्रशासन की उक्त कार्यवाही को लेकर लोगों में रोष व्याप्त है। इस संदर्भ में लोगों की मांग है कि दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। फिरोज अहमद ने लिखा है कि
ट्रांसफर पोस्टिंग तो सरकारी नौकरी में लगा रहता है!
गौर करने वाली बात यह है कि डॉक्टर को सजा क्या मिला ?
क्या लापरवाही से किसी की जान लेने की सजा बस इतनी है कि उसका ट्रांसफर कर दिया जाए ?

बीडीसी हरिलाल कुशवाहा ने लिखा है, अगर किसी को पुराने घर से नए घर मे शिप्ट कर दिया जाए तो उसको क्या तकलीफ है ? क्या ट्रांसफर करने से वह आदमी जिंदा हो गया है? सभी अधिकारी भ्रष्ट है। पीके सिंह लिखते है, अगर डाक्टर का खुद का बच्चा होता तो क्या इतना ही लापरवाही करता वो डाक्टर…? गाज गिरे पर नौकरी से आजीवन के लिए बर्खास्त होना चाहिए। संजीव अंबेडकर ने लिखा ये कोई सजा नही हैं। सजा वह होता जब एक साल के लिए इनको सस्पेंड किया जाता और उस परिवार को 10 लाख रूपये दोनों कर्मचारियों से पीडि़त परिवार को आर्थिक सहायता दिया जाना चाहिए था। लेकिन नहीं, क्योकि मरने वाला दलित परिवार से था। उनके बच्चे होते तो पता चलता। वही अरविंद सिंह ने मांग किया है कि दोषी डाक्टर का ट्रांसफर करना है तो दूसरे मण्डल मे करिये ताकि पता लगे।

