विश्व शांति का संदेश लेकर सोमवार की शाम सोनौली बार्डर पर स्थित थाई 960 मंदिर पहुंचे थाईलैंड के बौद्ध भिक्षु

उत्तर प्रदेश महाराजगंज

आज प्रातः भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी के लिए हुए रवाना- राजेश शुक्ला प्रबंधक थाई 960 मंदिर सोनौली

मनोज कुमार त्रिपाठी/ कृष्ण कांत त्रिपाठी

महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) ! विश्व में शांति का संदेश देने के लिए थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं का 99 सदस्यीय दल शनिवार की रात साधु शरण भारद्वाज इंटर कॉलेज बेलवाकाजी में पहुंचा। जहां विद्यालय की ओर से पुष्प से स्वागत किया गया। बौद्ध भिक्षुओं ने विद्यालय परिसर में पड़ाव डालकर पूजा वंदना किया।

रात्रि विश्राम के बाद सुबह पूजा पाठ करने के बाद बौद्ध भिक्षुओं का दल रामग्राम, देवदह होते हुए सोमवार की शाम सोनौली बार्डर पर स्थित थाई 960 मंदिर पहुंचा जहां रात्रि विश्राम के आज सुबह भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी नेपाल के लिए रवाना हो गया।

भगवान बुद्ध उत्तरापथ (बुद्ध गमन मार्ग) होते हुए कुशीनगर को गए थे। प्राचीन काल में उत्तरापथ से भारत का चीन से लेकर अफगानिस्तान तक व्यापार होता था। इसी मार्ग से गौतम बुद्ध ने कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के पहले अंतिम यात्रा की थी। फाजिलनगर के बदुराव, उस्मानपुर, पुरैना, पावानगर आदि गांव होते हुए तथागत बुद्ध कुशीनगर पहुंचे थे। तथागत बुद्ध जिले के रामग्राम, देवदह होते हुए सोनौली बार्डर पर स्थित थाई 960 मंदिर पहुंचे और रात्रि विश्राम के पश्चात आज लुंबिनी नेपाल के लिए रवाना हो गए। उस समय के बौद्ध अनुयाइयों ने महापरिनिर्वाण के बाद इस मार्ग का निर्माण कराया था।

बौद्ध टीम के भिक्षु फ्रा थाना पोन ब्रोमा ने बताया कि हम लोग विश्व शांति के लिए भगवान बुद्ध के धार्मिक स्थलों की पदयात्रा पर निकले हैं। बुद्ध जिस मार्ग से कुशीनगर गए थे, हम उस मार्ग से जा रहे हैं। कुशीनगर के बाद महराजगंज, रामग्राम, सोनौली सीमा से होकर नेपाल में प्रवेश करेगी। लुंबिनी, श्रावस्ती, सारनाथ में हमारी यात्रा समाप्त होगी। 25 मार्च तक यात्रा करने के बाद थाईलैंड चले जाएंगे। बौद्ध भिक्षुओं की टोली जिस मार्ग से होकर गुजर रही थी, गांव के लोग पुष्प अर्पित कर स्वागत कर रहे थे।

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