भारत-नेपाल सीमा पर हजारों की संख्या में सुरक्षा बलों की है तैनाती, फिर भी थम नहीं रही तस्करी

उत्तर प्रदेश महाराजगंज

सरहद के दोनों तरफ सक्रिय है तस्करों के सैकड़ों शातिर गिरोह ,सूत्र

सुरक्षा एजेंसियों पर कई बार हो चुके हैं हमले

दोनों देशों को भारी राजस्व का नुकसान

सार

भारत और नेपाल की सीमा पर सरकार ने भले ही सुरक्षा के तमाम उपाय किए हों, लेकिन तस्‍करों की कारस्‍तानी बदस्‍तूर जारी है। नेपाल के रास्‍ते दुनियाभर के तस्‍कर भारत में अपना सामान अवैध रूप से भेजते हैं, जो हर साल अरबों रुपये का होता है। इतना ही नहीं इस तस्करी के कारण भारत सरकार को ही नहीं नेपाल सरकार को भी भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

हर्षोदय टाइम्स / उमेश चन्द्र त्रिपाठी

महराजगंज! नेपाल और भारत के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी सीमा है। इस बॉर्डर से हर साल कई टन सोना तस्‍करी होती है। तथा नशे की दवाएं और अवैध रूप से नशीले पदार्थ भी आते-जाते हैं।

भारत का पड़ोसी देश नेपाल, वैसे तो इसका आकार और व्‍यापार काफी छोटा है, लेकिन एक चीज है, जिस मामले में यह हमारे अन्‍य पड़ोसी देशों पर भारी पड़ता है। यह काम है तस्‍करी का, जो नेपाल के रास्‍ते भारत में अवैध रूप से सामान पहुंचाने का सबसे आसान तरीका है। इससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को तो नुकसान पहुंचता ही है, आम आदमी के जीवन पर भी इसका बड़ा असर पड़ता है। नेपाल से तस्‍करी की खबरें तो आपने भी पढ़ी और सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे कि नेपाल से किस चीज की सबसे ज्‍यादा तस्‍करी भारत में होती है।

इससे पहले आपको बता दें कि भारत और नेपाल सीमा की लंबाई करीब 1,751 किलोमीटर की है। यह सीमा पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार और उत्‍तर प्रदेश तथा उत्तराखंड से जुड़ी हुई है। इसमें सबसे लंबी 651 किलोमीटर की सीमा यूपी से जुड़ती है तो बिहार 601 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करता है, जबकि पश्चिम बंगाल से सिर्फ 96 किलोमीटर सीमा जुड़ती है। भारत सरकार ने इस सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए 50 हजार खंभे लगवाकर उन पर 1.5 लाख बल्‍ब लगवा दिए हैं, जो अंतरिक्ष से भी दिखाई देते हैं।

कहां से होती है ज्‍यादा तस्‍करी

नेपाल के साथ सबसे ज्‍यादा सीमा यूपी साझा करता है, जाहिर है कि तस्‍करों के निशाने पर यही राज्‍य होता है। इसके अलावा यूपी और नेपाल की सीमा भौगोलिक रूप से भी तस्‍करों के लिए मुफीद है, क्‍योंकि ज्‍यादातर सीमाई इलाकों में जंगल और नदियां पड़ते हैं। इनकी निगरानी करना भी पूरी तरह संभव नहीं रहता है। इस सीमा की सुरक्षा के लिए सरकार ने करीब 60 हजार सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए हुए हैं। बावजूद इसके तस्‍करी का सिलसिला थम नहीं रहा है। त्‍योहारी सीजन को देखते हुए अतिरिक्‍त पुलिस बल भी लगाए गए हैं, ताकि तस्‍करों पर अंकुश लगाया जा सके।

किस चीज की सबसे ज्‍यादा तस्‍करी

अगर नेपाल से भारत और भारत से नेपाल में तस्‍करी की जाने वाली चीजों की बात करें तो पहले पायदान पर आता है सोना और दूसरे पायदान पर है चरस। नेपाल के रास्‍ते तस्‍कर सोना और चरस खरीदकर भारत में अवैध रूप से सप्‍लाई करते हैं। ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट बताती है कि नेपाल से हर साल करीब 10 टन सोने की तस्‍करी भारत में की जाती है। फाउंडेशन का दावा है कि गोल्‍ड के बाद नेपाल से सबसे ज्‍यादा मानव तस्‍करी भी होती है। अनुमान है कि नेपाल से हर साल करीब 30 हजार लोगों की तस्‍करी की जाती है। इसमें युवक और युवतियां दोनों शामिल हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर चरस,गांजा, चाइनीज लहसुन, टमाटर,मशाले, लौंग, इलायची, पाकिस्तानी पोस्ता,कैनेडियन मटर, चाइनीज सेव, नाशपाती, कास्मेटिक सामान,जाली नोटों के अलावा कई अन्य सामानों की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है।

नशे का भी बड़ा अड्डा है नेपाल

नेपाल सीमा पर बसे महराजगंज जिले की 84 किलोमीटर खुली सीमा तस्‍करों के लिए सबसे मुफीद मानी जाती है । इस सीमा पर 7 महीने में ही पुलिस और एसएसबी ने 692 करोड़ की अवैध दवाएं पकड़ी थीं। जो तस्करी कर नेपाल जाने वाला था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी मात्रा में नशे की दवाओं का अवैध धंधा कैसे चलता है। तस्‍करों ने बाकायदा सीमा तक बांट रखी है।

सिद्धार्थनगर जिले की 68 किलोमीटर की सीमा को नशीले पदार्थ, खाद व खाद्य सामग्री, कपड़े, सोना-चांदी जैसी चीजों के लिए बांट रखा है।

जरूरत की चीजों की भी तस्‍करी

इतना ही नहीं समय-समय तस्‍करी की चीजें बदलती भी रहती हैं वहीं भारत से नेपाल को बड़े पैमाने पर लाल चंदन की लकड़ी,कपड़ा ,चावल,चीनी, मादक पदार्थ जैसे स्मैक, ब्राउन सूगर, नशीली दवाएं, प्याज, उर्वरक, रहर की दाल,मोटर पार्ट्स, महंगे शराब और पेट्रोलियम पदार्थों की तस्‍करी की जाती है। वर्तमान समय में जहां एक तरफ नेपाल से भारत में चाइनीज लहसुन की तस्करी की जा रही है वहीं दूसरी तरफ भारत से चावल,मंहगे शराब, मोटर पार्ट्स, कपड़े, मोबाइल सेट और चीनी की बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत से सटे नेपाल के करीब दो सौ से अधिक कच्चे-पक्के नाकों से हर साल 10 अरब रूपए कीमत की केवल चीनी की तस्करी हो रही है।

क्‍यों होती है नेपाल के रास्‍ते तस्‍करी

वैसे तो भारत नेपाल के अलावा अन्‍य भी कई देशों के साथ सीमा साझा करता है, लेकिन सबसे ज्‍यादा आवाजाही नेपाल के रास्‍ते ही होती है। दोनों देशों के बीच आने-जाने के लिए आसान प्रक्रिया भी है और ज्‍यादा पूछताछ भी नहीं होती। लिहाजा दुनियाभर के तस्‍कर भारत जैसे बड़े उपभोक्‍ता बाजार में अपनी चीजें अवैध रूप से पहुंचाने के लिए इसी रास्‍ते का इस्‍तेमाल करते हैं।

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