उमेश चन्द्र त्रिपाठी
यूपी के महाराजगंज से सटे भारत-नेपाल सीमा पर तस्करों ने एसएसबी जवानों की पेट्रोलिंग पार्टी हमला कर कई जवानों को घायल कर माल समेत फरार हो गए। हमले एक इंस्पेक्टर के हाथ टूटने की भी खबर है। घटना के बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
तस्करों ने एक बार फिर दुस्साहस दिखाया है। तस्कर एसएसबी जवानों से भिड़ गए। यह तब हुआ जब एसएसबी जवान सीमा पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। इसी दौरान तस्करों ने एसएसबी जवानों के बोलेरो पर हमला बोल दिया। काफी मशक्कत के बाद भी एसएसबी जवान चाइनीज माल लदा पिकअप नहीं पकड़ पाए।
यहां तक कि तस्करों ने इंस्पेक्टर सीडी मुकेश कुमार का हाथ तोड़ दिया। सरहद की सुरक्षा करने वाली एसएसबी को ही अब अपनी सुरक्षा के लिए यूपी पुलिस से गुहार लगानी पड़ रही है। अब सोचिए जब सेना के जवान ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता कैसे सुरक्षित रहेगी। पूरा मामला क्या है चलिए वो भी बता देते हैं।
बता दें कि झुलनीपुर बीओपी कैंप क्षेत्र ग्राम सभा करमिशवा से चाइनीज माल की तस्करी हो रही थी। इसकी सूचना मिलने पर छापेमारी के लिए एसएसबी जवानों की एक टीम मौके पर पहुंची। यहां पुलिस टीम को देखते ही तस्कर भड़क गए और बोलेरो पर हमला बोल दिया। बोलेरो को छतिग्रस्त कर और कई जवानों को घायल करके तस्कर नेपाल भाग गए।
इस मामले में बहुआर चौकी प्रभारी नीरज कुमार ने बताया कि एसएसबी की तरफ से एक तहरीर दी गई है। हम मामले की जांच में जुटे हैं।
बता दें कि पिछले साल तस्करों ने एसएसबी का अस्थाई कैंप तक फूंक दिया था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर तस्करों के आगे एसएसबी इतनी बेबस क्यों है? क्या जवानों को किसी ने कार्रवाई के लिए रोक रखा है या फिर तस्कर ही इतने मजबूत हो गए हैं कि हर बार वे एसएसबी जवानों को पटखनी दे रहे है। इतना ही नहीं आज तक पुलिस ने न तो किसी पर गैगेस्टर लगाया और न ही उनके घरों पर बुल्डोजर चलवाया। आज यह मामला छोटा जरूर लग रहा है पर आने वाले दिनों यही तस्कर सुरक्षा एजेंसियों पर भारी पड़ेंगे। तब सभी को पछताना पड़ेगा।
आप को बता दें कि भारत-नेपाल सीमा पर यूपी से लेकर बिहार तक सब कुछ ठीक नहीं है। तस्करों ने सीमा पर ऐसा जाल बिछा रखा है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। सुत्रों बताते हैं कि एसएसबी के कई बड़े अधिकारी भी इन तस्कर गिरोह से मिले हुए हैं। सरहद पर एसएसबी जवानों पर हमला कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी तस्करों ने एसएसबी जवानों और पुलिस पर दर्जनों बार हमला किया है। सीमा पर अगर तस्करों द्वारा सुरक्षा एजेंसियों पर हमला हो रहा है इसे आतंकी हमले से कम नहीं आंका जा सकता है। सीमा पर तैनात वरिष्ठ अधिकारी आखिर आंखें मूंदकर क्यों बैठे हैं यह एक बड़ा सवाल है। अगर इन तस्करों पर शीघ्र लगाम नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में किसी भी बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है।