पंकज चौधरी को देंगे कड़ी चुनौती
उमेश चन्द्र त्रिपाठी ब्यूरो
महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स): 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह ही केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी होंगे? बकिया प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। महराजगंज जनपद में कांग्रेस पार्टी का कोई जनाधार ही नहीं है ऐसे में गठबंधन प्रत्याशी क्या गुल खिलाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। ऐसे में अखिलेश को कम आंकना सभी राजनीतिक दलों के लिए भारी भूल होगी। बीते 9 अगस्त को क्रांति दिवस पर कुंवर अखिलेश सिंह ने पूर्वांचल किसान यूनियन का गठन का सबको चौंका दिया था।
बता दें कि कुंवर अखिलेश सिंह साल 1978 से ही एक नौजवान जुझारू नेता के रूप में जाने जाते हैं। वह महराजगंज जनपद ही नहीं पुर्वांचल के एक कद्दावर नेताओं में सुमार है। साल 1981 में उन्होंने लक्ष्मीपुर विधान क्षेत्र से गोरखपुर के बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही को चुनाव जिताने में महती भूमिका अदा की थी। इतना ही नहीं साल 1984 नौतनवां के एक व्यवसाई सरदार अजीत सिंह की हुई हत्या के मामले सड़क से संसद तक यह मामला उठाया था। पुनः जब साल 1984 का विधान सभा चुनाव आया तो उन्होंने दोबारा विरेन्द्र प्रताप शाही का समर्थन किया और जी-तोड़ मेहनत कर उन्हें विधानसभा सभा में लखनऊ पहुंचाने का का किया। कुंवर अखिलेश सिंह पुर्वांचल के एक ऐसे नेता हैं जिनके एक आवाज पर हजारों हजार की संख्या में उनके पीछे चल देते थे। उन्हें गरीबों, मजलूमों, किसानों,वंचितों के एक बड़े नेता के रूप में जाना जाने लगा। साल 1989 में अखिलेश सिंह का वीरेंद्र प्रताप शाही से संबंधों में खटास के चलते वह स्वयं राजनीति में उतर गये पर पहला चुनाव एक और बाहुबली अमर मणि से मामूली अंतर से चुनाव हार गए। लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और साल 1991 में 1993 में चुनाव जीत कर विधान सभा पहुंचने में कामयाब रहे। साल 1991में तो अखिलेश सिंह ने जहां एक तरफ हर जगह भाजपा जीत ही थी उन्होंने लक्ष्मीपुर में भाजपा का रथ रोक दिया था। आखिरकार वह धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के चहेते बन गये। साल 1999 में मुलायम सिंह यादव ने कुंवर अखिलेश सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें महराजगंज लोकसभा से सपा का उम्मीदवार बनाया और अखिलेश चुनाव जीत गए। उस चुनाव पंकज चौधरी तीसरे स्थान पर आ गये। अखिलेश सिंह ने जनता के हित के कई बार आन्दोलन से लेकर रेल का भी चक्का जाम कर दिया था। लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड में अखिलेश का नाम सुर्खियों में था। और वे मिनी मुख्यमंत्री के नाम से जाना जाने लगे। उन्होंने साल 1999 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को नौतनवां की धरती पर उतार दिया जहां उन्हें सुनने के लिए लाखों की भीड़ मौजूद रही। इतना ही नहीं उसी उन्होंने मुख्यमंत्री से हरदी डाली स्थित डांडा नदी पर पुल, कुनसेरवा में सामुदायिक विकास केन्द्र, आश्रम पद्धति विद्यालय, नौतनवां इंटर कालेज में एक कक्ष और कुंवर घनश्याम सिंह अस्पताल का शिलान्यास भी कराया।
बता दें कि साल 1999 अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में उन्होंने किसानों के उपज का वाजिब मूल्य देने के संसद में जोरदार बहस की और अटल जी ने उन्हें धन्यवाद भी दिया।
बता दें कि साल 2012 में सपा में रहते हुए कुंवर अखिलेश सिंह ने अपने अनुज कुंवर कौशल सिंह को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाया और उन्हें जिताकर फिर एक बार अपनी बादशाहत कायम रखने में कामयाब रहे। वहीं 2019 के चुनाव में जब कुंवर अखिलेश सिंह सपा बसपा गठबंधन के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े तो उनके अनुज कुंवर कौशल उर्फ मुन्ना सिंह कांग्रेस विधायक रहते हुए अपन बड़े भाई अखिलेश सिंह के प्रचार में जुटे और जी-तोड़ मेहनत की। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में कुंवर कौशल उर्फ मुन्ना सिंह सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और लगभग 78 हजार वोट पाकर निषाद-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी ऋषि त्रिपाठी से लगभग 12 हजार वोटों से हार गए। ऋषि त्रिपाठी को कुल 90 हजार वोट मिले थे वहीं बसपा के अमन मणि त्रिपाठी को 46 हजार वोट मिले पर वह तीसरे स्थान पर पहुंच गए।