एक पार्क, तीन एस्टीमेट! भेड़िया मनरेगा पार्क में वित्तीय हेराफेरी के आरोप, जांच पर भी सवाल

उत्तर प्रदेश महाराजगंज



हर्षोदय टाइम्स/अर्जुन चौधरी

निचलौल/महाराजगंज- जिले के निचलौल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत भेड़िया में मनरेगा योजना से निर्मित पार्क अब विकास का उदाहरण बनने के बजाय कथित भ्रष्टाचार का प्रतीक बनता दिख रहा है। करीब 32 लाख रुपये की लागत से 85 डिसमिल भूमि पर बनाए गए इस ‘मनरेगा पार्क’ में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।



निचलौल खंड विकास अधिकारी शमा सिंह बुधवार को गठित जांच टीम के साथ स्वयं मौके पर पहुंचीं, जिससे जांच की प्रक्रिया को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।


ग्रामीणों के अनुसार जिस भूमि पर पार्क बनाया गया है, वह वर्षों से खलिहान के रूप में उपयोग में थी और पूरी तरह समतल थी। इसके बावजूद अभिलेखों में मिट्टी भराई के नाम पर 1.34 लाख रुपये खर्च दिखाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब जमीन पहले से ही गेहूं और धान की मड़ाई के लिए इस्तेमाल होती रही है, तो फिर मिट्टी भराई की जरूरत ही क्यों पड़ी। यही सवाल पूरे मामले को संदेह के घेरे में ला खड़ा करता है।


जांच के दौरान सामने आया कि पार्क निर्माण के लिए एक नहीं बल्कि तीन-तीन एस्टीमेट तैयार किए गए। मनरेगा मद से चार माह में 5.28 लाख रुपये श्रमिकों पर खर्च दिखाया गया, वहीं ग्राम निधि से मिट्टी भराई के लिए 1.34 लाख रुपये और अतिरिक्त रूप से 85 हजार रुपये श्रमिक भुगतान के नाम पर दर्शाए गए। एक ही कार्य के लिए अलग-अलग मदों से भुगतान किए जाने से वित्तीय हेराफेरी की आशंका और गहरी हो गई है।


मामले में सबसे ज्यादा चर्चा बीडीओ की भूमिका को लेकर है। बताया जा रहा है कि 23 दिसंबर को गठित पांच सदस्यीय जांच टीम को स्वतंत्र जांच करनी थी, लेकिन बीडीओ का स्वयं टीम के साथ मौके पर पहुंचना लोगों को खटक रहा है।

हालांकि जांच टीम का कहना है कि मस्टर रोल, श्रमिकों की वास्तविक उपस्थिति और भुगतान अभिलेखों का मिलान किया जा रहा है। अंतिम रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि मनरेगा पार्क वास्तव में जनहित का कार्य है या फिर सरकारी धन की बंदरबांट का एक और मामला।

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