मनरेगा में बड़ा का खेल! एक ही अंगूठे से बने दर्जनों मजदूर ,सरकारी धन की हुई बंदरबांट

उत्तर प्रदेश महाराजगंज

बलुआ ग्राम पंचायत में फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा, ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक और अफसरों की मिलीभगत से गरीबों के हक पर चला भ्रष्टाचार का बुलडोजर

हर्षोदय टाइम्स / विवेक कुमार पाण्डेय

भिटौली /महराजगंज : प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत परतावल ब्लॉक ग्राम पंचायत बलुआ में बड़ा का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि रोजगार डिमांड रजिस्टर और जॉब कार्डों में एक ही व्यक्ति के अंगूठे से दर्जनों मजदूरों के नाम दर्ज कर सरकारी धन का गबन किया गया।

सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायत बलुआ के रोजगार मांग प्रपत्रों में रामकवाल, रामकेवल, शोबेराती, समसुद्दीन, बबलू, साबिर अली, राजाराम, अमीन और जखरुद्दीन जैसे दर्जनों नामों के आगे एक ही व्यक्ति का अंगूठा पाया गया। जबकि जॉब कार्ड नंबर अलग-अलग दर्शाए गए हैं। इतना ही नहीं, इन सबके नाम पर 24 जुलाई 2024 से 5 अगस्त 2025 तक रोजगार मांग दर्ज की गई  जो स्वयं में अत्यंत संदिग्ध है।

जांच में यह भी सामने आया कि ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक ने “शमशेर के खेत से काटो पल्ला के खेत तक मिट्टी कार्य” (आईडी नंबर 3152010033/40/95.2486755824749586) को स्वीकृत दिखाया। इस कार्य पर ₹1,24,257 की राशि खर्च दर्शाई गई, जिसमें ₹1,15,577 कुशल श्रमांश और ₹5,180 अर्ध कुशल श्रमांश दर्ज है। लेकिन मौके पर जांच में पाया गया कि न तो मिट्टी कार्य पूरा हुआ और न ही अधिकांश मजदूरों ने कोई काम किया था।

गांव के कई लोग जो वर्षों से बाहर रह रहे हैं, उनके नाम पर भी भुगतान दिखाया गया है। मास्टर रोल, वाउचर और ऑनलाइन एंट्री में एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर और अंगूठे से सैकड़ों मजदूरों के नाम पर फर्जी रोजगार चढ़ाया गया।

सूत्रों का कहना है कि इस पूरे खेल में ग्राम रोजगार सेवक, पंचायत सचिव और विभागीय कर्मचारी मिलीभगत से शामिल हैं। इन लोगों ने सरकारी धन की बंदरबांट कर गरीब मजदूरों के हक पर डाका डाला है।

जब यह खुलासा हुआ कि पूरी रोजगार डिमांड ही फर्जी है, तो सवाल उठने लगे  “जब मजदूर ही नहीं थे, तो काम पूरा कैसे दिखाया गया?”

यह मामला विभागीय निगरानी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।

ग्रामीणों की मांग:

गांव के लोगों ने जिलाधिकारी महराजगंज और मुख्य विकास अधिकारी से इस फर्जीवाड़े की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा  “सरकार गरीबों को रोजगार देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और पंचायत कर्मियों की मिलीभगत से यह पैसा गरीबों तक नहीं पहुंच रहा।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *