भारतीय जिलों से सटे नेपाल में मोबाइल अपग्रेड कर रहा चीन

उत्तर प्रदेश महाराजगंज

सार

यूपी में महराजगंज, सिद्धार्थ नगर,लखीमपुर,बलरामपुर,बहराइच,
श्रावस्ती,खीरी-पीलीभीत जिले की सीमा नेपाल से सटी है। शासन ने सीमावर्ती जिलों की पुलिस से पूछा है कि नेपाल के सीमावर्ती जिलों में चीन की हुआवेई कंपनी द्वारा फोर जी नेटवर्क शुरू होने से स्थानीय लोगों पर इसका क्या असर है। एक वर्ष पहले एसपी श्रावस्ती ने सुरक्षा और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए इस समस्या का समाधान कराने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा था।

प्रदेश के आठ जिलों से सटी है नेपाल की सीमा,शासन ने अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट

हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो

गोरखपुर/ महराजगंज! नेपाल में 2 जी और 3 जी मोबाइल टॉवरों को चीन की कंपनी हुआवेई फोर जी में अपग्रेड कर रही है। उत्तराखंड सीमा से सटे नेपाल के चार जिलों में नेपाली टेलीकाम कंपनी नमस्ते के 61 मोबाइल टॉवर को 4 जी में अपग्रेड कर दिया है।

सीमा से सटे नेपाली गांवों में चीन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही इस सेवा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। चीनी कंपनी के नेटवर्क का भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल होने और इसके जरिये जासूसी की आशंका को लेकर सीमा से सटे जिलों की पुलिस से आख्या मांगी गई है।

पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था एलआर कुमार ने आपरेशन कवच योजना के प्रभारी/एडीजी जोन गोरखपुर के साथ ही सीमा से सटे सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को पत्र लिख इस संबंध में जानकारी मांगी है।

उत्तराखंड सीमा पर 93 में 61 टॉवर हुए अपग्रेड

उत्तराखंड सीमा से सटे नेपाल के बैतडी, डडेलधुरा, कंचनपुर, धार्चुला जिले में 93 मोबाइल टावर हैं, जिसमें 61 टॉवर को चीन की हुआवेई कंपनी ने फोर जी में अपग्रेड कर दिया है।

सीमा पर भारत के गांवों में नेपाली नेटवर्क का कब्जा

नेपाल सीमा पर भारत के गांवों पर नेपाली मोबाइल नेटवर्क कंपनी का कब्जा है। सीमा से सटे अधिकांश गांवों में भारतीय टेलीकाम कंपनी का या तो टॉवर नहीं है या है भी तो नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता। व्यवस्था की इस खामी का फायदा अपराधी उठाते हैं, क्योंकि पुलिस को नेपाली मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल नहीं मिल पाती।

एक वर्ष पहले एसपी श्रावस्ती ने सुरक्षा और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए इस समस्या का समाधान कराने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा था। नेपाल सीमा से महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिले के गांव में आज भी यह समस्या है।

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