एक नेता ऐसे भी, लगातार हार का चुनावी सफर
1.वर्ष 2010 में ग्राम सभा लक्ष्मीपुर जरलहिया (ब्लॉक परतावल) से ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़े, उसमें भी मिली करारी हार।
2. वर्ष 2012 में 319 विधानसभा क्षेत्र पनियरा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में विधायक पद का चुनाव लड़े, उसमें भी मिली करारी हार।
3. वर्ष 2015 में मीरा देवी पत्नी अजय कुमार द्विवेदी ग्राम सभा लक्ष्मीपुर जरलहिया से ग्राम प्रधान पद का चुनाव लडी, उसमें भी मिली करारी हार।
4. वर्ष 2015 में अजय कुमार द्विवेदी ने लक्ष्मीपुर जरलहिया से क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) का चुनाव लड़े परिणाम स्वरूप करारी हार हुई।
5. वर्ष 2017 में 319 पनियरा विधानसभा क्षेत्र से लोकदल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े,उसमें भी मिली करारी हार।
6. वर्ष 2021 ग्राम सभा लक्ष्मीपुर जरलहिया से ग्राम प्रधान पद का चुनाव दोबारा लड़े लेकिन फिर करारी हार का सामना करना पड़ा।
7- वर्ष 2022 में 319 विधानसभा क्षेत्र पनियरा से निर्दल प्रत्याशी के रूप में विधायक पद का चुनाव लड़े, उसमें भी मिली करारी हार।
परतावल/महराजगंज : राजनीति में सफलता हर किसी को आसानी से नहीं मिलती। कोई एक-दो बार की कोशिश में ही जनता का विश्वास जीत लेता है तो किसी को बार-बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही एक नाम हैं अजय कुमार द्विवेदी का जिन्होंने लगातार चुनावी मैदान में उतरकर हार का स्वाद चखा लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
अजय कुमार द्विवेदी का जन्म 01 जनवरी 1973 को परतावल ब्लाक के ग्राम सभा लक्ष्मीपुर जरलहिया में हुआ
वह पढ़ाई-लिखाई में शुरू से ही मेधावी रहे और वर्ष 1987-1989 में राजकीय जुबली इंटर कॉलेज गोरखपुर से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की बीएससी वर्ष 1992 गोरखपुर से वर्ष 1995 में गणित विषय से एमएससी की डिग्री गोरखपुर से हासिल की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने चार साल तक एक निजी विद्यालय में अध्यापन कार्य किया। लेकिन मन में हमेशा से राजनीति की ओर रुझान रहा। समाजसेवा और जनसेवा की चाहत ने उन्हें राजनीति के मैदान में उतरने के लिए प्रेरित किया। 
राजनीतिक सफर की शुरुआत उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर से की। पत्नी को प्रत्याशी बनाकर ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वाया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद खुद दो बार प्रधान पद के लिए मैदान में उतरे, लेकिन हर बार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। पंचायत स्तर पर मिली असफलता से उन्होंने हार नहीं मानी और क्षेत्र पंचायत सदस्य बीडीसी के चुनाव में किस्मत आजमाई, मगर वहां भी जीत नसीब नहीं हुई। बड़ी राजनीति में कदम रखते हुए अजय कुमार द्विवेदी ने पनियरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में भी तीन बार दांव खेला। हर बार उम्मीदें लेकर जनता के बीच पहुंचे, लेकिन मतदाताओं ने उन्हें जीत का ताज पहनाने के बजाय पराजय की ओर धकेल दिया। लगातार हार का सिलसिला जारी रहा, लेकिन उनकी जुझारू मानसिकता में कोई कमी नहीं आई। लगातार असफलताओं के बावजूद अजय कुमार द्विवेदी राजनीति के मैदान से बाहर नहीं हुए।
उनका कहना है कि राजनीति जनसेवा का जरिया है और हार-जीत इसमें सामान्य प्रक्रिया है। वे आज भी जनता के बीच सक्रिय रहते हैं और सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं। अजय कुमार द्विवेदी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। अध्यापक से लेकर नेता तक का उनका सफर इस बात का उदाहरण है कि लक्ष्य कितना भी कठिन क्यों न हो, निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है। हालांकि अब तक उन्हें चुनावी जीत का स्वाद नहीं मिला है, लेकिन हार के बाद भी उनका हौसला बरकरार है। सचमुच, राजनीति में ऐसे भी नेता हैं, जो हार के बावजूद हार मानना नहीं जानतें हैं।


 
	 
						 
						