महराजगंज(हर्षोदय टाइम्स): श्यामदेउरवां थाना क्षेत्र अंतर्गत अतिसंवेदनशील ग्राम पंचायत बड़हरा बरईपार हमेशा दो समुदायों के बीच विवादों के कारण चर्चा में बना रहा है। इस वजह से यहा प्रत्येक त्योहार पर भारी संख्या में पुलिस व पीएसी बल तैनात किए जाते हैं। लेकिन इस बार यहां एक अलग ही नजारा देखने को मिला। मंगलवार को मनाई गई होली में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों ने एक साथ मिलकर बड़ी ही धूमधाम से होली का त्योहार मनाया। बड़हरा बरईपार में इस बार शांतिपूर्ण ढंग से जुलूस भी सम्पन्न हुआ। पहली बार ऐसा हुआ कि बिना किसी विवाद के जुलूस अपने मंजिल तक पहुंचा है।
इस अवसर पर इस गांव के पूर्व प्रधान पंकज जायसवाल ने कहा कि होली ही ऐसा पर्व है जो बिना किसी खर्च के पूर्ण उत्साह और उल्लास से मनाया जाता है। यह पकवानों का भी पर्व है। होली प्रेम-प्रतीति का, एकता और भाई-चारे का, मानवता, सौहार्द और अपनेपन का पर्व है। होली पर सभी भेदभाव भुलाकर, गले मिलकर प्रेम बांटना चाहिए। दूसरे की भावना का ध्यान रख कर थोड़ा सा रंग लगाने से घर-परिवार और समाज में शांति और सोहार्द बना रहता है। इस पर्व का उद्देश्य प्रेम देना और बांटना है। होली पारस्परिक प्रेम का ही प्रतीक है। होली ऊंच- नीच की खाई पाट देती है। भेद-मतभेद मिटा देती है। टूटते रिश्ते भी होली में जुड़ जाते हैं। होली का संदेश भी है कि हमें प्रेम बांटना है और प्रेम ही पाना है।
वही वर्तमान ग्राम प्रधान हेसामुद्दीन ने कहा कि होली रंगों का ही नहीं बल्कि आपसी भाईचारे का भी पर्व है। हमें इस पर्व को एक दूसरे के साथ खुशियों के साथ मिलकर मनाना चाहिए। जो भी भेदभाव, मनमुटाव हमारे बीच हैं हमें उसे भूल जाना चाहिए और रंगों के इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाना चाहिए। हमें एक बात और याद रखनी है कि कोई भी ऐसा कार्य या मजाक किसी के साथ नहीं करना चाहिए जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे। इसी का प्रयास किया जा रहा है ताकि भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न न हो। हर बार गांव में बड़ी मात्रा में पुलिस बल तैनात किए जाते हैं जिससे अपने आप में ही ग्लानि होती है।
प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि होली का रंग, प्रेम का रंग है। इसमें अंहकार भाव नहीं होना चाहिए। होलिका भी अंहकार के प्रतीक के रूप में जानी जाती है। अहम के खत्म होते ही संसार के सारे रिश्ते स्नेह व प्रेम से जुड़ जाते हैं। बिना स्नेह के कोई किसी से नहीं जुड़ता है। होली का पर्व स्नेह के आधार से जुड़ा है। प्रेम से और मर्यादा में होली खेलने से प्रेम का संदेश आसानी से दिया जा सकता है। रिश्तों में खटास और भेदभाव को भुलाने का कोई पर्व है तो होली है। हमने यह प्रयास किया कि इस बार कोई विवाद उत्पन्न न हो। ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें समझाया बुझाया गया कि विवाद से हमारे विकास में बाधाएं उत्पन्न होती है।


