हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो
महराजगज जनपद में लगभग 27 लाख से ऊपर की आबादी के बावजूद एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) और स्नायु रोग विशेषज्ञ (न्यूरोलॉजिस्ट) नहीं है। सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की बात तो दूर, जिला अस्पताल में भी गंभीर बीमारियों की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अगर किसी को हार्ट अटैक या ब्रेन हेमरेज हो जाए तो इलाज के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।
सर्दी का सितम बढ़ने के साथ ही ह्रदय रोग के मरीजो की सख्या में काफी इजाफा होने लगा है लेकिन सरकारी अस्पतालो में न ह्रदय रोग विशेषज्ञ है और न ही इलाज की सुविधा।
आपको बता दे कि महाराजगंज जिला भारत-नेपाल सीमा से सटा होने के कारण काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के सरकारी प्रयास अभी तक जमीन पर नहीं उतर सके हैं। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और जिला अस्पताल तो हैं, लेकिन गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। इस वजह से आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं भी सफल नहीं हो पा रही हैं।
गंभीर बीमारिया जैसे ब्रेन हेमरेज, सिर पर गंभीर चोट और हार्ट अटैक के दौरान विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत होती है। लेकिन जिले में न तो न्यूरोलॉजिस्ट है, न ही कार्डियोलॉजिस्ट, यहां तक कि एंजियोग्राफी जैसी महत्वपूर्ण जांच की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
मरीज के परिजनों को होती है परेशानी है
डॉक्टर केवल सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक बैठते हैं जिससे मरीजों और उनके परिवार वालों को भारी परेशानी होती है। गंभीर मरीजों को अक्सर गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है, लेकिन कई बार मरीजों की हालत इतनी खराब होती है कि वे रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
क्या कहते है मुख्य चिकित्सा अधिकारी महराजगज
सी.एम.ओ डॉ श्रीकांत शुक्ला बताते है कि जिले में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति नही है । मरीजो को इमरजेंसी में जितनी सेवाएं उपलब्ध है मरीजो को दिया जाता है और बाकी सेवा के लिए शासन को पत्र भेज कर अवगत कराया जा रहा है।
