हर्षोदय टाइम्स /अर्जुन चौधरी
सिसवा बाजार/ महराजगंज- सिसवा नगरपालिका परिषद अध्यक्ष श्रीमती शकुंतला जायसवाल के विरुद्ध शासन द्वारा उनके अधिकारों पर रोक लगाये जाने के आदेश को हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार 1 अगस्त को एक रिट याचिका में सुनवाई के बाद निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि शासन चाहे तो नए सिरे से विधिक कार्यवाही कर सकती है।
सिसवा नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव द्वारा 26 जून 2024 को जारी आदेश में श्रीमती शकुंतला जायसवाल के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके विरुद्ध अध्यक्ष ने हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल किया था। जिसमें न्यायालय ने जारी अपने निर्णय में उपरोक्त मुख्य सचिव के आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायालय के इस आदेश के बाद नगरपालिका परिषद अध्यक्ष के समर्थकों में खुशी का माहौल देखा गया है।
बताते चले कि भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा नगरपालिका परिषद अध्यक्ष श्रीमती शकुंतला जायसवाल के विरुद्ध जांच आख्या रिपोर्ट शासन को कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया था। जिसके तहत उपरोक्त अनियमितता में कथित रूप से अध्यक्ष को दोषी मानते हुए उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव ने नगरपालिका परिषद अध्यक्ष के अधिकारों को प्रतिबंधित किए जाने का आदेश 26 जून 2024 को जारी कर दिया। इसके बाद अपर उपजिलाधिकारी सदर महाराजगंज शैलेंद्र गौतम को सिसवा नगरपालिका परिषद का प्रशासक नियुक्त किया गया। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष द्वारा उपरोक्त शासनादेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में वाद दाखिल किया गया था। जिसके तहत 1 अगस्त को हाई कोर्ट ने शासन के उपरोक्त आदेश को निरस्त कर दिया है।
इस संदर्भ में नगरपालिका परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि गिरिजेश जायसवाल ने कहा है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में परेशान किया जा रहा है। लेकिन सत्य की हमेशा जीत होती है। जिसे न्यायालय के आदेश ने सिद्ध कर दिया है।