आज भी बच्चे के जन्म से लेकर शादी की रश्में होती हैं कुओं के इर्द-गिर्द
भारतीय संस्कृति में आस्था के अभिन्न अंग रहे हैं कुएं
सार
भारतीय समाज में एक समय कुओं का खासा महत्व होता था। कुएं हमारी सांस्कृतिक धार्मिक आस्था के प्रतीक थे।
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
सोनौली/महराजगंज(हर्षोदय टाइम्स): महराजगंज जनपद के नगर पंचायत सोनौली के वार्ड नंबर 5 महेंद्र नगर में एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर कुएं को कब्जा करने की एक बड़ी साजिश रची जा रही है। उधर जब हिंदू समाज के लोगों ने कुएं की साफ-सफाई कर उसके जगत बनाने का काम शुरू किया तो पुलिस ने उन्हें निर्माण करने से रोक दिया। जिसको लेकर हिंदू पक्ष के लोगों में भारी आक्रोश है। हालांकि तहसीलदार नौतनवां ने मौके पर पहुंच कर कुएं का जायजा लिया और दोनों पक्षों को बैठाकर मामले को शीघ्र निस्तारित करने की बात कही है पर उक्त मामला अभी भी जस का तस बना हुआ। फिलहाल मामले की संवेदनशीलता को देखते प्रशासन पूरी तरह चौकन्ना है।
बता दें कि भारतीय समाज में एक समय कुओं का खासा महत्व होता था। कुएं हमारी सांस्कृतिक धार्मिक आस्था के प्रतीक थे। हिंदू संस्कृति में जहां जन्म से लेकर शादी की तमाम रश्में इन कुओं के इर्द-गिर्द होती थी।
बुजुर्गो की मानें तो आधुनिक दौर में भले ही हैंडपंप, ट्यूबवेल,पंप,समर्सेबल का बोल-बाला हो, लेकिन कुएं की जगह आज भी यह आधुनिक तकनीक नहीं ले पाई है। आज भी बच्चे के जन्म से लेकर शादी की कई रश्में इन कुओं के इर्द-गिर्द होती हैं। बच्चे के जन्म के समय जच्चा ढोल नगाड़ों के साथ कुएं की पूजा अर्चना करने जाती हैं। इसी प्रकार विवाह के समय घुड़चढ़ी के समय दूल्हा घोड़ी लेकर कुएं के पास जाकर पूजा करता है। वर्तमान में भी यह सारे धार्मिक संस्कार कुएं पर ही होते हैं। लेकिन सोनौली का यह कुआं अब सिर्फ प्रतीक के रूप में है। बताया जाता है कि यह कुआं एक साजिश के तहत पाटा गया था और अब सड़क चौड़ीकरण के नाम पर विशेष समुदाय के लोग एक सुनियोजित साजिश के तहत इस कुएं का नामो निशान मिटाना चाहते हैं।
