नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा जताई जा रही असहजता पर दो टूक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर विदेश नीति संचालित करता है और इस पर किसी भी बाहरी देश का वीटो या दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों ने नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की थी। इस पर जवाब देते हुए जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा,
“भारत किसी भी धुरी, गुट या दबाव की राजनीति में विश्वास नहीं करता। हम बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में स्वतंत्र रणनीतिक साझेदारी निभा रहे हैं और ऐसा आगे भी करते रहेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-रूस संबंध दशकों पुराने हैं और रक्षा, ऊर्जा, व्यापार तथा अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों की आवश्यकताओं और पारस्परिक हितों पर आधारित है।
विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर भारत का रुख संतुलित और संवाद समर्थक रहा है। भारत कई बार सैन्य समाधान के बजाय कूटनीतिक रास्ता अपनाने की बात दुनिया के मंचों पर उठा चुका है।
जयशंकर के बयान का मूल संदेश यह है कि
- भारत किसी भी देश के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी का पैमाना तय नहीं करेगा।
- भारत की विदेश नीति अमेरिका, रूस या किसी तीसरे देश के दबाव से नहीं, बल्कि भारत के हित और वैश्विक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए निर्धारित होती है।
- भारत का लक्ष्य बहु-ध्रुवीय वैश्विक ढांचे में संतुलित और स्वायत्त भूमिका निभाना है।
पुतिन की यात्रा को भारत-रूस साझेदारी को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें ऊर्जा, डिफेंस उत्पादन, परमाणु सहयोग और व्यापार विस्तार जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

