हर्षोदय टाइम्स/विवेक कुमार पाण्डेय
महराजगंज (भिटौली)। आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार रविवार, 14 सितम्बर को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार इसका पारण सोमवार, 15 सितम्बर को प्रातः 6:26 बजे के बाद होगा।
श्री दुर्गा जी उमा शंकर संस्कृत विद्यापीठ के प्रधानाचार्य एवं ज्योतिषविद् पंडित रविन्द्र नाथ पाण्डेय ने बताया कि इस व्रत की शुरुआत 13 सितम्बर शनिवार को नहाय-खाय से होगी। माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास कर संतान के कल्याण की प्रार्थना करती हैं।
धार्मिक ग्रंथों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। महाभारत काल में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को नष्ट करने हेतु ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से गर्भस्थ शिशु की रक्षा की। जन्म के बाद उस बालक का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया, जो आगे चलकर राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुए।
इसी पौराणिक प्रसंग के कारण जीवित्पुत्रिका व्रत को संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पूरे श्रद्धा-भाव से इस व्रत का पालन करेंगी।

