मोबाइल की लत ने बिगाड़ी ज़िंदगी

उत्तर प्रदेश

6 साल से स्कूल नहीं गया किशोर, अस्पताल में चल रहा इलाज

लखनऊ। मोबाइल और इंटरनेट की लत किस तरह बच्चों का भविष्य बर्बाद कर सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण राजधानी में सामने आया है। लखनऊ के एक 18 वर्षीय किशोर ने पिछले 6 वर्षों से स्कूल का रुख ही नहीं किया। वजह—मोबाइल गेम्स और इंटरनेट की लत। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि अब उसे मानसिक चिकित्सकों की निगरानी में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

दिन-रात मोबाइल में खोया रहने लगा

जानकारी के अनुसार, किशोर शुरू में सामान्य तरीके से मोबाइल पर गेम खेलता था। धीरे-धीरे यह शौक आदत और फिर लत में बदल गया। वह दिन-रात वीडियो गेम्स, सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ही समय बिताने लगा। पढ़ाई, खेलकूद, यहां तक कि दोस्तों और परिवार से बातचीत भी उसने छोड़ दी। किसी ने मोबाइल छीनने की कोशिश की तो वह चिड़चिड़ा और आक्रामक हो उठता था।

मनोचिकित्सकों की टीम कर रही इलाज

किशोर के परिवार ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, मगर स्थिति बिगड़ती चली गई। आखिरकार परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां मनोचिकित्सकों की टीम उसका इलाज कर रही है। चिकित्सकों का कहना है कि यह फोन एडिक्शन का गंभीर मामला है, जो धीरे-धीरे बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ देता है।

बच्चों को केवल ज़रूरत के समय ही फोन दें: विशेषज्ञ

विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को मोबाइल तभी देना चाहिए जब उसकी सख्त ज़रूरत हो। समय से पहले और लंबे समय तक मोबाइल इस्तेमाल करने से बच्चे तनावग्रस्त, आत्मकेंद्रित और असामाजिक हो जाते हैं। समय रहते परिवार को सतर्क होकर ऐसे बच्चों का मार्गदर्शन करना चाहिए, अन्यथा स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।

स्टडी: मोबाइल के दुरुपयोग से आत्महत्या के विचार

हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि मोबाइल और इंटरनेट का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों में डिप्रेशन और आत्महत्या की प्रवृत्ति तक बढ़ा देता है। मनोचिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि अगर समय पर इलाज और काउंसलिंग न मिले तो बच्चों के लिए यह लत उतनी ही घातक हो सकती है जितनी ड्रग्स और शराब।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *