पूरे दिन अन्न-जल त्याग करके पति के लंबे उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं व्रत

उत्तर प्रदेश महाराजगंज

रतन पाण्डेय

परतावल/महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स):-इस व्रत को महापर्व के रूप में पूरे भारत वर्ष में खास दिन के रूप में मनाया जाता है।नगर पंचायत परतावल वार्ड नम्बर 02 बल्लभ नगर (तिवारी टोला) निवासी आचार्य दुष्यंत पाण्डेय (पारासर जी महाराज) ने बताया कि पूजा के लिए एक साफ स्थान पर चौकी रखी जाती है, जिस पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र रखे जाते हैं |पूजा सामग्री: पूजा के लिए विशेष रूप से बेलपत्र, पुष्प, अक्षत (चावल), धूप, दीप, फल, मिठाई, और सिंदूर का उपयोग किया जाता है | साथ ही, तीज व्रत की कथा का पाठ भी किया जाता है ।


पूजा और आरती: शाम के समय, महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, और तीज व्रत की कथा सुनती हैं | पूजा के बाद आरती की जाती है, और भगवान से सुखी दांपत्य जीवन की प्रार्थना की जाती है |

तीज व्रत का विधान, और ख़रतीज व्रत का विधान और व्याख्या: तीज व्रत, जिसे हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरितालिका तीज के रूप में भी जाना जाता है, मुख्य रूप से भारतीय महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है | यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है | तीज व्रत का पालन विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से किया जाता है |तीज व्रत के प्रकार जैसे :
1- हरियाली तीज: यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है | यह व्रत वर्षा ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है और इसे हरियाली तीज कहा जाता है क्योंकि इस समय चारों ओर हरियाली होती है |
2- कजरी तीज: यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है | यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है | कजरी तीज में महिलाएं विशेष गीत गाती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करती हैं |
3- हरितालिका तीज: यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है | हरितालिका तीज का महत्व यह है कि यह व्रत देवी पार्वती की तपस्या और भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने की उनकी दृढ़ता को याद दिलाता है


व्रत का विधान: तैयारी और स्नान: तीज व्रत की पूर्व संध्या पर, महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और विशेष परिधानों (साड़ी या लहंगा) में सजती हैं | व्रत के दिन, स्नान के बाद शुद्ध कपड़े पहनकर पूजा की जाती है


1- निर्जला व्रत: तीज व्रत को निर्जला रखा जाता है, जिसका अर्थ है कि पूरे दिन न तो भोजन किया जाता है और न ही जल पिया जाता है | यह व्रत अत्यधिक कठोर माना जाता है और इसे बहुत श्रद्धा और संयम के साथ निभाया जाता है |


2- पारंपरिक गीत और नृत्य: व्रत के दौरान महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं। यह पर्व महिलाओं के मेल-मिलाप का भी एक अवसर होता है | व्रत का महत्व:तीज व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है ।

यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है, बल्कि यह महिलाओं को मानसिक और शारीरिक संयम का पालन करने का भी एक अवसर प्रदान करता है | इस व्रत का पालन करते हुए, महिलाएं माता पार्वती के साहस और धैर्य को अपने जीवन में धारण करने का प्रयास करती हैं, और मंदिरों में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से पुण्य प्राप्त होगा |

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