महराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : महराजगंज जिले के किसानों की लाइफ लाइन कहे जाने वाली मुख्य पश्चिमी गंडक नहर की दशा दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। पड़ोसी देश नेपाल से निकल कर बिहार प्रान्त जाने वाली इस नहर के दोनों तरफ से पैनल जगह – जगह टूट कर क्षतिग्रस्त हो गये हैं। इससे नहर के टूटने का खतरा बढ़ गया है। अभी इसमें पानी नहीं होने पर मरम्मत कार्य हो सकता है, लेकिन गंडक नदी से पानी छोड़ने के बाद निर्माण करना मुश्किल हो जायेगा। पैनल क्षतिग्रस्त होने से पूर्व में कई बार टूट भी चुके हैं, जिससे किसानों की फसल डूबने से की काफी क्षति हुई है। इस नहर के रजवाहे और माइनर भी देख रेख के अभाव में जर्जर होते जा रहे हैं। सिंचाई क्षमता भी घटती जा रही है।
मुख्य गंडक नहर के निर्माण के बाद किसानों को खेतों में सिंचाई आसान हो गयी थी। वर्ष 1959 में मुख्य पश्चिमी गंडक नहर और वाल्मीकिनगर बैराज का निर्माण होने के बाद करीब सत्तर के दशक में यह नहर अस्तित्व में आई। इस नहर का उत्तर प्रदेश में करीब 3,207 किलोमीटर भूभाग पर निर्माण कराया गया है। पडोसी देश नेपाल से निकली गंडक नहर प्रदेश के जिला महराजगंज होते हुए कुशीनगर के आदि क्षेत्रों से होकर बिहार प्रांत की सीमा में प्रवेश करती है। इस नहर से लगभग 1,700 किलोमीटर लंबे रजवाहे और माइनरों से करीब 3.44 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई किसानों द्वारा की जाती है। प्रदेश के साथ जिले के किसानों के लिये वरदान रही इस नहर की स्थिति अब दयनीय होती जा रही है। इस समय नहर के पैनल जगह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे अधिक पानी छोड़ने पर नहर के पैनल टूटने की आशंका बनी रहती है। कई बार पैनल टूटने से किसानों की फसल भी बर्बाद हो चुकी है। पैनल के क्षतिग्रस्त होने के साथ ही नहर में सिल्ट भी भर गये हैं। जिससे किसानों को खेतों में सिंचाई करने के लिये क्षमता कम हो रही है। इस बजह से बड़ी गंडक नहर का पानी पूरी तरह रजवाहों और माइनरों में नहीं पहुंच पा रहा है। नहर के पैनल में झाड़ियां उग गई हैं। अभी नहर में पानी नहीं होने से इसकी मरम्मत व सिल्ट की सफाई हो सकती है। इसको लेकर किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। किसान खेतों की सिंचाई के लिये नहर के पानी पर ही र्निभर है। किसानों ने नहर की मरम्मत कराने तथा सिल्ट की सफाई कराने की मांग की है।
संवाददाता छोटेलाल पाण्डेय