हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो
परतावल / महराजगंज। विकासखंड परतावल के न्याय पंचायत कतरारी अंतर्गत ग्राम सभा बेलवा में सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर अन्नपूर्णा भवन निर्माण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। खाद गड्ढा और खलिहान के रूप में वर्षों से उपयोग में रही जमीन पर निर्माण शुरू किए जाने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
ग्राम निवासी विनोद सिंह पुत्र स्व. चन्द्रभान सिंह सहित सूरसेन सिंह, खतनाम सिंह, बीरबल, अंजलि, रामा, रामरिश्ते, ब्रह्मदेव सिंह, इंद्रजीत सिंह, दिग्विजय व गोमल सिंह समेत अन्य ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी सदर को प्रार्थना पत्र सौंपकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। इसके अलावा सूरसेन सिंह ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की है।
ग्रामीणों का कहना है कि आराजी संख्या 264 (खाद गड्ढा) एवं आराजी संख्या 265 (खलिहान) की भूमि लगभग 50 वर्ष पूर्व तत्कालीन ग्राम प्रधान व लेखपाल द्वारा सार्वजनिक उपयोग हेतु आवंटित की गई थी। इस भूमि का उपयोग गांव के पशुपालक वर्षों से पशुओं के गोबर रखने और कृषि कार्यों से जुड़े कार्यों के लिए करते आ रहे हैं।
आरोप है कि वर्तमान ग्राम प्रधान द्वारा उक्त भूमि पर जबरन आरसीसी भवन का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही पहले से मौजूद 10 कड़ी के सार्वजनिक रास्ते को बढ़ाकर 20 कड़ी कर व्यक्तिगत आवागमन के लिए उपयोग किया जा रहा है, जिससे आम ग्रामीणों को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिल रहा। अब इसी भूमि पर जेसीबी मशीन से खुदाई कर अन्नपूर्णा भवन निर्माण का कार्य भी शुरू करा दिया गया है, जिससे पशुपालकों की सुविधा पूरी तरह प्रभावित हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण का विरोध करते हुए उन्होंने वैकल्पिक स्थान का सुझाव भी दिया है। पंचायत भवन के बगल में स्थित बंजर भूमि गाटा संख्या 101, रकबा 0.239 हेक्टेयर पर अन्नपूर्णा भवन का निर्माण कराया जा सकता है। उक्त भूमि पर पूर्व में पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय का निर्माण हो चुका है, बावजूद इसके वहां अभी भी पर्याप्त खाली स्थान उपलब्ध है।
ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी से मांग की है कि अन्नपूर्णा भवन का निर्माण पंचायत भवन के समीप उपलब्ध बंजर भूमि पर कराया जाए तथा खाद गड्ढा और खलिहान की जमीन को सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित रखा जाए, ताकि पशुपालकों को भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। फिलहाल इस मामले में प्रशासन की ओर से होने वाली कार्रवाई पर पूरे गांव की नजर टिकी हुई है।

