हर्षोदय टाइम्स/ बिमलेश कुमार पाण्डेय
घुघली / महराजगंज। श्री नारंग संस्कृत महाविद्यालय, घुघली के अवकाश प्राप्त प्राचार्य एवं संस्कृत साहित्य के विख्यात विद्वान मधुसूदन पति त्रिपाठी का बृहस्पतिवार की रात को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे और पिछले कई महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे।
मधुसूदन पति त्रिपाठी न केवल एक कुशल शिक्षक थे बल्कि संस्कृत भाषा के प्रति गहरा लगाव रखने वाले, शांत स्वभाव एवं सरल व्यक्तित्व के धनी शिक्षाविद् थे। अपने लंबे शैक्षिक जीवन में उन्होंने अनगिनत विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा एवं भारतीय संस्कृति की मूल धारा से जोड़ा।
उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को घुघली स्थित छोटी गंडक नदी के बैकुंठी घाट पर किया गया। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और नम आंखों से उन्हें विदाई दी।
त्रिपाठी के निधन पर क्षेत्र के अनेक गणमान्य लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य प्रसाद गुप्त, शेषमणि पाण्डेय, पंचायत सदस्य धनञ्जय गुप्ता, राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत के गोरखपुर मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार तिवारी, संतोष पाण्डेय, चंद्रशेखर, अजय त्रिपाठी, डॉ. अनिल त्रिपाठी, किसान नेता जितेंद्र सिंह, जोखन सिंह (पूर्व प्रवक्ता), ई. केएम पाण्डेय, विशाल ओझा, डॉ. फुलेना शुक्ला तथा रामपुर बल्डीहा निवासी भोलानाथ मिश्र प्रमुख हैं।
सभी ने कहा कि उनके निधन से शिक्षा जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके आदर्श, अनुशासन और संस्कृत भाषा के प्रति उनके समर्पण को लंबे समय तक याद किया जाएगा।

