सरकार की हर घर बिजली योजना हो रही विफल
महराजगंज जिले के सोहगीबरवा गांव का मामला
हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो
महराजगंज! केन्द्र और राज्य सरकारें हर घर बिजली पहुंचाने का चाहे कितना भी दावा कर लें लेकिन धरातल पर इसकी तस्वीर बिल्कुल ही विपरीत है। मामला उत्तर प्रदेश के महराजगंज के निचलौल विकास खण्ड में स्थित सोहगी बरवा गांव का है। जहां वर्ष 2018-19 में विद्युत कर्मियों की ओर से सौभाग्य योजना के तहत उपभोक्ताओं का विद्युत कनेक्शन भी किया गया था लेकिन अक्टूबर 2020 में आई बाढ़ के चलते दर्जनों विद्युत के पोल क्षतिग्रस्त हो गए उसके बाद से आज तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। ऐसे में सरकार की हर घर बिजली योजना विफल साबित हो रही है। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने बताया की लगभग 4 वर्ष बीतने के बाद भी अब तक विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी लेकिन विद्युत का बिल आज भी मोबाइल पर मैसेज आता है।
बता दें कि यह महराजगंज जिले का वह क्षेत्र है जहां पहुंचने के लिए हमारी टीम ने निचलौल के मुख्य कस्बे से होकर पहले तो जंगलों का सफर तय किया और फिर साधू घाट से नाव का सहारा लेकर नदी पार की। इसके बाद कई किलोमीटर के रेतीले मार्ग से होकर एक बार फिर जंगलों से होते हुए सोहगीबरवा गांव तक पहुंची। जहां बिजली के पोल दिखे, बड़े-बड़े ट्रांसफार्मर दिखे, कुछ तो ऐसे भी ट्रांसफार्मर रोड पर लगाए गए थे जिसे झाड़ियों ने पूरी तरह से जकड़ लिया था। इतना ही नहीं मार्ग में कुछ बिजली के टूटे हुए पोल और सड़क से खेत की तरफ लटकी हुई बिजली के पोल भी नजर आए। जब इसके बारे में जानकारी हासिल की गई तो पता चला की वर्ष 2018-19 में विद्युत कर्मियों की ओर से सौभाग्य योजना के तहत गांव में उपभोक्ताओं का विद्युत कनेक्शन किया गया था लेकिन अक्टूबर 2020 में आई बाढ़ के चलते दर्जनों विद्युत के पोल क्षतिग्रस्त हो गए उसके बाद से अब तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। लेकिन मोबाइल पर आज भी बिजली का बिल का मैसेज आता रहता है।
“चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात”
यह कहावत महराजगंज के अंतिम छोर पर बसे निचलौल विकास खंड क्षेत्र के सोहगीबरवा पर सटीक बैठती है। जहां आजादी के 70 साल बाद फरवरी 2020 में विद्युत विभाग ने सोहगीबरवा में विद्युत आपूर्ति शुरू की थी। आठ माह बाद अक्तूबर में आई बाढ़ से दर्जनों विद्युत पोल क्षतिग्रस्त हो गए। जिसे दुरुस्त कराने के लिए आज तक जिम्मेदारों ने जरूरी नहीं समझा। करीब साढ़े तीन वर्ष से ग्रामवासी अंधेरे में रह रहे हैं। नदियों और जंगलों से घिरे इस क्षेत्र के लोग गर्मी, बरसात और ठंड में भी अंधेरी रात में मोमबत्ती और लालटेन के सहारे रहने को मजबूर हैं। विद्युत विभाग के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिले के अंतिम छोर पर बसे सोहगीबरवा में निवास करने वाले करीब 40 हजार लोगों को उजाले में रखने के लिए वर्ष 2015-16 में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत गांव में विद्युत पोल और तार लगाए गए थे। 2018-19 में विद्युत कर्मियों की ओर से सौभाग्य योजना के तहत सैकड़ों उपभोक्ताओं का विद्युत कनेक्शन भी किया गया। लेकिन अक्तूबर 2020 में आई बाढ़ के चलते दर्जनों विद्युत पोल क्षतिग्रस्त हो गए। उसके बाद से अब तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी है। सरकार की हर घर बिजली योजना विफल साबित हो रही है। बिजली न रहने के कारण शाम होते ही पूरा गांव अंधेरे में तब्दील हो जाता है।
