हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो
घुघली/महराजगंज- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व विधायक स्व. अमरनाथ मिश्र महज 12 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजों के निशाने पर आ गए थे। यह घटना 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की है, जब महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने देश की आज़ादी के लिए घर से निकलकर अंग्रेजों को नुकसान पहुंचाने की ठान ली।
महाराजगंज में क्रांतिकारियों का नेतृत्व प्रो. शिब्लन लाल सक्सेना कर रहे थे। इन्हीं परिस्थितियों में घुघली विकास खंड के ग्राम सभा ढेकही निवासी अमरनाथ मिश्र ने अपने साथियों के साथ मंगलपुर पटखौली गांव के पास रेलवे लाइन की पटरी उखाड़ने और टेलीफोन तार काटने का साहसिक निर्णय लिया।
रेल की पटरी उखाड़ने के दौरान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और कोठीभार थाने ले गई। नाबालिग होने के कारण छोड़ दिया गया, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी गतिविधियां जारी रखीं। शिब्लनलाल सक्सेना के नेतृत्व में वे गोरखपुर और महाराजगंज में स्वतंत्रता सेनानियों की सहायता करते रहे।
आजादी के बाद 1957 में वे महाराजगंज दक्षिण से विधायक चुने गए। 2012 में उनका निधन हुआ। उनके पुत्र भूपेंद्र नाथ मिश्र के अनुसार, पिता ने जीवनभर महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया और सच्चाई व ईमानदारी के साथ जीवन बिताया।

