पूर्व विधायक अमन मणि त्रिपाठी की कांग्रेस की सदस्यता हो सकती है रद्द- सूत्र
कांग्रेस पार्टी की यूपी इकाई ने किया विरोध
अमन मणि की हो सकती है बसपा में वापसी?
सीट के अदला-बदली की भी आशंका?
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
महराजगंज(हर्षोदय टाइम्स)! महराजगंज जनपद में पिछले पांच दशकों से फरेंदा और नौतनवां विधान सभा क्षेत्र पर राज करने वाले त्रिपाठी परिवार का सूरज अब अस्त होने के कगार पर है। शायद ऐसा किसी परिवार के साथ पहली बार हुआ है। कहते हैं कि अहंकार तो रावण का नहीं चला तो त्रिपाठी परिवार की क्या विसात है।
बताते चलें कि पूर्व मंत्री श्याम नारायण तिवारी से लेकर,अमर मणि त्रिपाठी, विनोद मणि त्रिपाठी और अमन मणि त्रिपाठी को फर्श से अर्श पर पहुंचने के लिए पांच दशक लगे। पर अब इनका राजनीतिक सूरज अस्त होने के कगार पर है। एक ही परिवार के चार सदस्य फरेंदा और नौतनवां विधान सभा क्षेत्र से कुल 11 बार चुनाव जीत चुके हैं। श्याम नारायण तिवारी और अमर मणि त्रिपाठी तो उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में कई बार मंत्री भी रह चुके हैं। कभी इनकी तूती बोलती थी आज इनकी कोई पार्टी सुनने वाली नहीं है। मधुमिता शुक्ला और सारा सिंह का भूत इनका पीछा नहीं छोड़ रहा है।
पूर्व मंत्री श्याम नारायण तिवारी उम्र के आखिरी पड़ाव में हैं इसलिए अब वह सक्रिय राजनीति से दूर रह रहे हैं वहीं दूसरी तरफ फरेंदा के पूर्व विधायक विनोद मणि त्रिपाठी की बात करें तो इधर के दिनों में उनकी राजनीतिक सक्रियता कम ही देखी गई है। अब राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए केवल अमर मणि त्रिपाठी के छोटे भाई अजीत मणि त्रिपाठी और उनके पूर्व विधायक पुत्र अमन मणि त्रिपाठी ही लोकसभा चुनाव के लिए सक्रिय राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं पर अभी तक इनको भी कोई सफलता नहीं मिल पाई है। अजीत मणि त्रिपाठी 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर महराजगंज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें करीब एक लाख 7 हजार वोट मिले थे और वे चौथे स्थान पर सिमट कर रह गये। जहां एक तरफ पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी सजायाफ्ता होने के नाते चुनाव लड़ नहीं सकते। वहीं दूसरी तरफ अमन मणि त्रिपाठी अपनी पहली पत्नी सारा सिंह की हत्या के आरोपी है और अभी जमानत पर जेल से बाहर हैं। उनका मुकदमा अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है। अमन मणि त्रिपाठी ने एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में गोता लगाने की कोशिश की है उन्हें थोड़ी सफलता भी मिली पर लगाता कि यह सफलता बहुत कम समय की होगी।
बता दें कि अभी हाल ही में पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के अथक प्रयास के बाद उनके पुत्र पूर्व विधायक अमन मणि त्रिपाठी को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई गई थी और चर्चा यह भी था कि उन्हें सपा-कांग्रेस गठबंधन से महराजगंज संसदीय क्षेत्र से 2024 में होने चुनाव के लिए कांग्रेस टिकट भी देने जा रही है। यह समाचार महराजगंज जनपद में आग की तरह फैल गई। विरोधी सक्रिय हो गए और इतना ही नहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने तो कांग्रेस के इस निर्णय के खिलाफ अनशन भी शुरू कर दिया।
सूत्र बताते हैं कि अमन मणि त्रिपाठी की दागी छवि को देखते हुए कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई की रिपोर्ट पर दिल्ली स्थित कांग्रेस हाईकमान ने अमन मणि त्रिपाठी को टिकट नहीं देने का मन बना लिया है? सूत्र यह भी बता रहे हैं कांग्रेस हाईकमान फरेंदा विधायक और बेदाग छवि के नेता वीरेंद्र चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित करने जा रही है जिसकी घोषणा एक या दो दिन में हो भी जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो महराजगंज जनपद से त्रिपाठी परिवार का राजनीतिक सूरज हमेशा के लिए अस्त हो जाएगा। लेकिन सूत्र यह भी बताते हैं कि कांग्रेस ने यदि टिकट नहीं दिया तो उनके लिए अभी भी बसपा के दरवाजे खुले हैं। वैसे राजनीति में सब कुछ संभव है कभी भी पासा पलट सकता है। पर इस बार ऐसा लगता है कि अमर मणि त्रिपाठी का राजनीतिक दांव इस बार फेल हो जाएगा और त्रिपाठी परिवार की राजनीति हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी? अंदरखाने से यह भी चर्चा है कि कुशीनगर और महराजगंज की सीट पर अदला बदली हो सकती है। कुशीनगर की सीट कांग्रेस को जा सकती है और महराजगंज की सीट समाजवादी पार्टी को मिल सकती है? अगर ऐसा हुआ तो साल 2019 के चुनाव में तीन लाख 85,925 मत हासिल करने वाले सपा के कद्दावर नेता व पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह की मजबूत दावेदारी हो सकती है।