हर्षोदय टाइम्स / विवेक कुमार पाण्डेय
भिटौली / महराजगंज : चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है जो कि 30 मार्च 2025 रविवार से आरंभ होने वाला है। (इस वर्ष राजा भी सूर्य है और मंत्री भी सूर्य देव हैं ।) हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ भी रविवार से हो रहा है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि जिन जातकों की कुंडली में या तो सूर्य बहुत अच्छा है या फिर बहुत खराब दोनों ही दशा में सूर्य देव की आराधना प्रथम नवरात्रि से प्रारंभ कर दें। अपने भाग्य को चमकाने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें सूर्य को जल दें।
श्री दुर्गा जी उमाशंकर संस्कृत विद्यापीठ के प्रधानाचार्य पंडित रविंद्र नाथ पाण्डेय (ज्योतिषाचार्य) ने बताया नवरात्र 29 मार्च को शाम 4 बजकर 32 मिनट पर प्रतिपदा तिथि शुरू हो रही है। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। ज्योतिष में यह बहुत शुभ माना जाता है। श्री हृषिकेश पंचांग अनुसार चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभमुहूर्त उदया तिथि के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च को है यानी कि घट स्थापना इसी दिन होगी।
उन्होंने बताया कि कलश स्थापना के लिए शुभ समय सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक है। इसके अलावा दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक। वैसे इस पवित्र तिथि में रविवार को पूरा दिन घट स्थापना करा सकते हैं। अभिजीत मुहूर्त भी है। इन दोनों मुहूर्ती में कलश स्थापना करना मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि 8 दिनों का ही है। कुष्मांडा देवी और स्कंदमाता की पूजा एक ही दिन 2 अप्रैल को होगी। इसी दिन चतुर्थी तिथि और पंचमी तिथियां का सहयोग रहेगा। सप्तमी अष्टमी और नवमी तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। नवरात्रि के आरंभ में इंद्रयोग में हो रहा है। साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग रवि योग जय योग औदायकयोग प्रवर्धमान नामक कई योग मिलने से इस बार नवरात्रि बहुत ही शुभदाई रहेगी। अष्टमी 5 अप्रैल को और महानवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी 6 अप्रैल को कन्या पूजन व हवन के साथ नवरात्रि का समापन होगा।
