महराजगंज। फरवरी माह में समय पर बिजाई की गई किस्मों में तीसरा व पछेती बिजाई की गई किस्मों में दूसरा पानी लगाएं। नाईट्रोजन (यूरिया) वाली खाद की अगर मात्रा शेष है तो इस पानी के साथ डाल दें।
यदि फसल में जस्ते (जिंक) की कमी में दिखाई दे तो 500 ग्रा. जिंक सल्फेट (21%) व 2.5 कि.ग्रा. यूरिया का घोल अलग-अलग बनाकर 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
मैंगनीज की कमी के कारण पत्तियों पर पीले रंग की धारिया पत्ती के सिरे से शुरू होकर नीचे की और बनती हैं। इसके लिए 500 ग्रा. मैगनीज सल्फेट 100 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
गेहूँ की पत्तियों पर हल्दी जैसा पाऊडर नजर आता है तो यह पीला रतुआ रोग के लक्षण हैं, इसकी रोकथाम के लिए 200 मि.ली. प्रोपीकोनाजोल 25% ई.सी. (टिल्ट) या मैंकोजेब (डाईथेन एम-45) 800 ग्राम प्रति एकड़ का 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। आवश्यकता पड़ने पर 10-15 दिन के अन्तराल पर फिर दोहराए।
अगर गेहूं में बालियां निकलते समय झण्डा पत्ता बालियों को निकलने में दिक्कत करे तो समझो मैंगनीज तत्व की कमी की वजह से से ऐसा है अत 500 ग्राम मैंगनीज सल्फेट 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ स्प्रे करें तथा 7 दिन बाद एक स्प्रे और दोहराएं।
जब आपकी गेहूं बाल निकालने लगे उस समय NPK 0:0:50 एक किलो या 13:0:45 भी ले सकते हैं। अचानक तेज हुई गर्मी से राहत मिलेगी और बोरोन 100 ग्राम प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें। ये गेहूं के दाने का आकार बढ़ाएगा, दाना चमकदार मोटा बनेगा तथा गर्मी के प्रति सहनशीलता बढ़ेगी ओर उत्पादन भी अच्छा मिलेगा ।
संवाददाता विवेक कुमार पाण्डेय (कृषि स्नातक) की खास रिपोर्ट
