उमेश चन्द्र त्रिपाठी ब्यूरो
गोरखपुर/ महराजगंज(हर्षोदय टाइम्स)! उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में फर्जी स्टाम्प मामले में एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) ने नाना, नाती समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक कैंट थाने में दर्ज हुए इस मुकदमे में कई महीनों तक आरोपियों से चली पूछताछ के दौरान कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला है। 90 के दशक में अब्दुल करीम तेलगी ऐसे ही स्टाम्प पेपर घोटाले को अंजाम दिया था। जिसे 2001 में अजमेर से गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने मीडिया को बताया कि बिहार के रहने वाले एक बुजुर्ग अपने नाती के साथ मिलकर कई सालों से फर्जी स्टाम्प पेपर तैयार कर रहा था। लोकल वेंडरों के जरिए इन फर्जी स्टाम्प पेपर को बेच दिया जाता था। कैंट थाना पुलिस को मिली एक शिकायत के बाद आठ जनवरी 2024 को गोरखपुर के एक अधिवक्ता ने कैंट थाना में एक मुकदमा दर्ज कराया था।
फर्जीवाड़े का खुलासा करने के लिए एस एसआईटी का हुआ था गठन
इसके बाद एसएसपी ने एस एसआईटी टीम गठित कर इस पूरे मामले की जांच के लिए कई टीमों को लगाया गया था। जिसके बाद पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली थीं। दरअसल, एक प्रकरण में न्यायालय में मामला दाखिल किया गया था। जिसमें कोर्ट फीस के तौर पर 53,128 रुपये का स्टाम्प लगाया गया था। नियमानुसार, मुकदमे में मेरिट के आधार पर निस्तारण होने पर कोर्ट फीस वापस नहीं होती है। लेकिन सुलह समझौता के आधार पर मुकदमे का निस्तारण लोक अदालत में हो गया था।
स्टाम्प वापसी हेतु आवेदन कोषागार कार्यालय गोरखपुर में किया गया। इसमें कुछ कूटरचित स्टाम्प लगे थे। वो सभी स्टाम्प सदर तहसील गोरखपुर के कोषागार से जारी न होने के कारण उसकी जांच भारतीय प्रतिभूति मुद्रणालय, नासिक प्रयोगशाला से कराई गई तो 5-5 हजार के दस स्टाम्प (कुल 50 हजार) कूटरचित पाया गया। जिसके संबंध में उपनिबंधक प्रथम सदर तहसील गोरखपुर ने मुकदमा पंजीकृत कराया। तब जाकर इस फर्जीवाड़ा का पता चला।
1 करोड़ 52 हजार रुपए के फर्जी स्टाम्प बरामद
पुलिस की मानें तो आरोपियों से लगभग 1 करोड़ 52 हजार 30 रुपये के स्टाम्प बरामद किए। साथ ही गैर न्यायिक स्टाम्प/न्यायिक स्टाम्प उ0प्र0, बिहार के 1000, 5000, 10000, 20000 व 25000 के स्टाम्प, एक लैपटॉप, एक प्रिन्टिंग व स्कैनर मशीन स्टाम्प व करेंसी नोट छापने हेतु विभिन्न कम्पनियों की 100 पैकट इंक, पेपर कटर मशीन और अत्यधिक मात्रा में सादे कागज बरामद किए।
इस मामले पर एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने मीडिया को बताया कि गोरखपुर में जनवरी 2024 में एक मामला संज्ञान में आया था। जब एक अधिवक्ता द्वारा वाद में लगाए गए स्टांप पेपर्स को ट्रेजरी में रिफंड के लिए लगाया गया तो जानकारी हुई कि वह स्टांप पेपर कभी वहां से जारी ही नहीं हुए। फिर संबंधित स्टांप पेपर को तकनीकी रूप से लैब के माध्यम से जांच कराई गई तो वह फेक पाई गई।
एसआईटी ने 7 आरोपियों को किया गिरफ्तार
इस संबंध में एक मुकदमा थाना कैंट में पंजीकृत हुआ था। फेक स्टांप पेपर्स के मामले की गंभीरता को देखते हुए एक एस एसआईटी का गठन किया गया। सबसे पहले इसमें रवि दत्त मिश्र को गिरफ्तार किया गया जिसने अधिवक्ता को स्टांप पेपर दिए थे। उससे गहन पूछताछ की गई फिर एस एसआईटी द्वारा पूरे गैंग को क्रैक कर लिया गया।
सिवान, बिहार में इनकी प्रिंटिंग हो रही थी, दो लोग अरेस्ट हुए। इसके अलावा पांच वेंडर भी गिरफ्तार हुए हैं। यह नोटिफाइड वेंडर थे इसलिए इन्हें यह पता रहता था कि किस सीरियल नंबर का स्टांम्प ट्रेजरी द्वारा इशू हो रहे हैं।
नोटिफाइड वेंडरों के जरिये बेचे जाते थे फर्जी स्टांम्प
बिहार के सिवान जिले के रहने वाले कमरुद्दीन (70 वर्ष) और उसका नाती (30 वर्ष) को गिरफ्तार किया। इनके पास से छपाई की मशीने भी बरामद की गईं। पूछताछ में आरोपी कमरुद्दीन ने पुलिस को बताया कि उसे यह कला उसके ससुर शमशुद्दीन ने कई दशक पहले सिखाई थी। उसका पूरा खानदान फर्जी स्टाम्प की छपाई में लगभग 50 सालों से लगा है। इस मामले में वो 1986 में जेल भी जा चुका है। जेल से छूटने के कुछ सालों बाद वह फिर से इसी गोरखधंधे में लग गया।